Saturday, March 28, 2020

वादों पर भरोसा या भूख़ से प्लायान

भूख़ से प्लायान होते कुछ लोगो को देखा आज मैंने, तब समझ आया कि मेरा देश अभी भी कितना अक्षम है।

बीते कुछ दिनों से पूरी दुनियां में कोविड19 का प्रकोप है। चीन के द्वारा फ़ैला यह वायरस पूरी दुनिया को जैसे समाप्त करने को आतुर हो गया है। रोज़ नए दिन सुबह उठो तो बस समाचार में संक्रमित या मृत मनुष्यों की संख्या बढ़ती ही दिखती देती है। पूरी दुनिया जैसे जैसे इसकी चपेट में आती जा रही है अर्थावायस्था रुकती जा रही है कई देश जो ज्यादा संक्रमित होते जा रहे है अर्थावायस्था को सोचना छोड़ कर पूरा शहर, गांव, नहीं तो पूरा देश ही बंद कर रहे है ताकि इलाज़ अच्छे से हो सके।
ऐसा नहीं है कि मेरा देश भारत नहीं बंद हो रहा है वह भी बंद हो गया है और इसके लिए धनराशि का ऐलान भी किया है। इस चीज का सम्पूर्ण देश सम्मान कर रहा है 
लेकिन भारत एक ऐसा देश है जहां की 35% जनसंख्या रोज़ कमा के खाता है जिसके पास खुद का रहने को घर नहीं है जिनके पास कोई बचत नहीं होती है उस वर्ग को नज़रंदाज़ कर अचानक से पूरा देश बंद कर देना ना कोई सुविधा प्रदान करना बस वादे कर देना जो 70 साल से आजतक सुनते है जिनपर देश का कोई भी वर्ग पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकता है वहां गरीबों का झुंड पलायन करने जाने लगा तो क्या गलत है। उसका कहना कि इस बीमारी से तो बाद ने मरेंगे भूख से पहले मर जाएंगे, मरना ही है तो अपने जन्मभूमि ने मरे कोई कंधा देने तो आएगा यहां तो वो भी मुमकिन नहीं है तो इसमें क्या गलत कह दिया।
सक्षम वर्ग का कहना कि ये और बीमारी फैलाएंगे लेकिन ये भूल गए कि भारत देश में यह बीमारी सिर्फ अमीरों के द्वारा लाया गया है मदद के नाम पर सब सरकार करेगी ये सोच कर नज़रंदाज़ कर देना, क्या यही हमारा पढ़ा लिखा समाज है। 
जिसके पास खाने को पैसे नहीं है दुकानें खुली नहीं है बाहर निकाल नहीं सकते वहां वह गरीब क्या करे। सरकार को पूरा व्योरा लेना चाहिए ज़मीनी स्तर पर कि पहले इन लोगो के लिए क्या करे की ये घबराएं नहीं।
आज लाखो कि संख्या में लोग एक जुट हो कर लोग पलायन होने को मजबुर हो गए है क्यूंकि सरकार के वादे सिर्फ रेगिस्तान में उस रेत कि तरह है जो दूर से पानी की तरह दिखते है विश्वास कैसे करें। 
आज की घटना जिसने सरकार की विनती को नज़रंदाज़ कर वह बिना कुछ कहे बहुत सारे प्रशन खड़े करती है क्या यही है हमारा भारत।

गलत है ये लेकिन सरकार की नीति भी पूरी तरह सही नहीं है।